Soch...

ये सोचता हूँ मैं कि क्या सोचता हूँ मैं..
ये दिन-ब-दिन पल हर पल क्या खोजता हूँ मैं..

ये जिंदगी भी लेती हैं ढेरों इम्तिहान..
पर ख्वाबों मे जीना ना छोड़ता हूँ मैं..

जिसकी याद मे खुद को करता हूँ मैं फ़ना..
उसके लिए वफा जेसे हो एक गुनाह..

बेवफाई की हद में वफा खोजता हूँ मैं..
ये सोचता हूँ मैं कि क्या सोचता हूँ मैं..

-Deependra S. Patel

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